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कनिष्ठ को प्रभार देकर वरिष्ठ के आदेशों का उड़ाया मखौल

अंधेरनगरी की कहावत को चरितार्थ करता डीपीसी हेमंत का आदेश

संभाग मे डीपीसी के पद पर मानो शनि की गृह दशा लग चुकी है जहाँ भी सुनो या देखो खुले आम अंधेरगर्दी मची हुई है जिसके चलते गरीब बच्चे जो वास्तविक हक़दार है अपने हक़ से वंचित हो रहे है और अधिकारी मलाई छान रहे है |

अनूपपुर। शहडोल संभाग के अनूपपुर मे एक ऐसा ही प्रकरण सामने आया है जहाँ सबसे बड़े हम की तर्ज पर वरिष्ठ अधिकारी के दिशा निर्देशों को आयी गई बात सिद्ध करके रख दिया गया है | 6 से 14 साल तक की उम्र के बच्चों को मुफ्त व संतोषजनक गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने वाला जिला शिक्षा केन्द्र लगातार किसी न किसी कारनामें को लेकर सुर्खियों मे बना रहता है पर विगत दिनों कुछ ऐसा देखने को मिला जो अपने आप मे आश्चर्यजनक व अविस्वशनीय है । विदित हो कि 15 मार्च को कलेक्टर अनूपपुर द्वारा पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय गुड़ाडोंगरी के औचक निरीक्षण पर पहुचे। जहां बच्चों के पेयजल की व्यवस्था नही होने तथा मॉडलर एजुकेशन किट का वितरण नही किये जाने को लेकर नाराजगी जताते हुये मौके पर ही जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) हेमंत खैरवार तथा बीआरसीसी पुष्पराजगढ़ हर प्रसाद तिवारी को तत्काल निलंबित करने के निर्देश दिये थे। तो वही दूसरे दिन 16 मार्च को जिला परियोजना समन्वयक हेमंत खैरवार ने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया,जो अपने आप मे सवालों से घेरा है। डीपीसी खैरवार द्वारा बीआरसीसी पुष्पराजगढ़ को निलंबन से बचाने के लिये अपने आदेश क्रमांक/जि.शि.के./स्था./2023/299 में प्रशासनिक व्यवस्था का हवाला देते हुये हर प्रसाद तिवारी को उनके पदीय दायित्वों से पृथक कर अपने कार्यालय में संलग्न कर लिया गया।

कनिष्ठ को दिया वरिष्ठ का प्रभार:-

कलेक्टर की नाराजगी पर जिला परियोजना समन्वयक हेमंत खैरवार ने हर प्रसाद तिवारी से बीआरसीसी पुष्पराजगढ़ का प्रभार तो छीन लिया गया, लेकिन उनके स्थान पर सहायक परियोजना समन्वयक (एपीसी) राजाराम प्रधान को बीआरसीसी पुष्पराजगढ़ का दायित्व सौंप दिया गया। जबकि पूर्व में चार शिक्षको की प्रतिनियुक्ति बीआरसीसी में हो चुकी है। लेकिन उक्त चार शिक्षको की प्रतिनियुक्ति आदेश पर जिला परियोजना समन्वयक ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुये आज दिनांक तक नही किया गया है।वही अब तक खेलो इंडिया, मॉडलर एजुकेशन किट, जल जीवन मिशन अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल सहित विद्यालय के शौचालय तक में भ्रष्टाचार किया गया है। इतना ही नही मॉडलर एजुकेशन किट का मामला कलेक्टर के संज्ञान में आने के बाद हीआनन फानन मे विद्यालयों में कीट को पहुंचाया गया है। जो जनचर्चा का विषय बना हुआ है |

कोर्ट के आदेश का उड़ाया मखौल :-

जहाँ परीक्षा में चयनित चार शिक्षको को बीआरसीसी का प्रभार देने पर जिला परियोजना समन्वयक ने हाई कोर्ट का हवाला देकर उनकी प्रतिनियुक्ति तो रोक दी। तो वही दूसरी ओर भ्रष्टाचार व लापरवाही बरतने वाले बीआरसीसी हर प्रसाद तिवारी को बिना निलंबित किये तथा बीआरसीसी की प्रतिनियुक्ति का मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन होने पर उन्हे जिला शिक्षा केन्द्र कार्यालय मे कैसे संलग्न किया गया यह एक बड़ा सवाल है जिसको लेकर यह कहना जरा भी गलत नहीं होगा की इस पूरे मामले में जिला परियोजना समन्वयक द्वारा स्वयं ही हाई कोर्ट के आदेशो का उल्लंघन किया है।

 वरिष्ठता का नही रखा गया ध्यान:-

बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने की जगह भ्रष्टाचार व लापरवाही में डूबे जिला परियोजना समन्वयक हेमंत खैरवार ने अपने आप को बचाने के चक्कर में अपने चहेते एपीसी राजाराम प्रधान को प्रभार दिया गया है। जबकि जिला शिक्षा केन्द्र में तीन वरिष्ठ एपीसी पदस्थ होने के बावजूद डीपीसी ने एपीसी की वरिष्ठता सूची का बिना ध्यान रखे अपने चहेते कनिष्ठ एपीसी राजाराम प्रधान को बीआरसीसी पुष्पराजगढ़ का प्रभार दे दिया गया। जबकि नियमतः बीआरसीसी के लिये प्रतिनियुक्त शिक्षकों को उनकी पहली प्राथमिकता के आधार पर उक्त आदेश जारी किया जाना चाहिये था।

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