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करोडो की नियम विरुद्ध खरीदी पर प्रशाशन ने साधी चुप्पी??

करोडो की नियम विरुद्ध खरीदी पर प्रशाशन ने साधी चुप्पी??

आखिर किन कारणों से पांडेय हुए निरंकुश??

दाल में काला तो आपने देखा होगा पर यह शिक्षा विभाग की तो पूरी दाल ही काली है|

शहडोल | शिक्षा विभाग मे जिस तरह से शासन के नियमो को रौदकर खुलेआम सोमालिया के समुद्री लुटेरों की तरह शिक्षा विभाग को लूटा जा रहा है।वह यहां की जनता से छुपा नही है।लेकिन प्रशासन को क्यो नही दिखाई देता यह समझ से परे है। आये दिन जिस तरह से शिक्षा विभाग के नाम पर प्रमाणित दस्तावेजों के साथ सवाल पे सवाल उठ रहे है यह कही ना कही जिम्मेदारो की अंधेरगर्दी और लापरवाही का जीता जागता प्रमाण सिद्ध हो रहा है |

आज हम बात करेंगे रमसा वाले अरविन्द पाण्डेय जी की जिन्हे अपने गुरु द्रोणाचार्य (मुन्ना भैया) का अंश भाग भी कहाँ जाता है और शिक्षा विभाग मे यह रमसा वाले पाण्डेय जी के नाम से जाने जाते है । चिकनी चुपड़ी बातो से सभी को मोहित करने मे महारत हासिल किये है और इन्ही बातो के चलते यह सहायक परियोजना समन्वयक,अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक रमसा के साथ लेखपाल भी बने हुए है। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के रूप मे श्री फूल सिंह मारपाची है।जो संजय दृष्टि से 3 कार्यालय देखते हैं। जब तक पाण्डेय जी द्वारा किसी भी काम को मंजूरी नहीं दी जाती है तब तक मारपाची जी की कलम उस और रुख कर सके यह गलती वह कभी नही करते।

इनके द्वारा हाल मे ही करोड़ो की मनमानी खरीदी की गई है। सामग्री के एक छोटे से आइटम की जानकारी दे रहे है।आगे पूरी देंगे।

 वित्तीय वर्ष 2022-23 मे प्रदेश शासन द्वारा इस जिले के 40 स्कूलो में 400 लैपटॉप ,प्रिंटर और अन्य समान खरीदे गए है। शासन द्वारा प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी को एजेंसी बनाया गया है। जिसमें सारे नियमो को ताक में रख सिर्फ अपनी जेब भरने का काम किया गया है। 2 करोड़ 55 लाख की सामग्री शासन की जेम पोर्टल की आईडी के द्वारा खरीदी की गई और सम्बंधित फर्म को भुगतान किया गया अब आप बोलेगे की इसमें गलत क्या है तो आइये बताते है कहाँ हुआ गलत |

सर्व प्रथम तो यह की शासन के द्वारा जो भी सामग्री का खरीदी और भुगतान होगा वह सिर्फ अधिकृत व्यक्ति यानी शासन के कर्मचारी को ही अधिकार है परन्तु हमारे पाण्डेय जी के डायरी मे नियम कुछ और ही कहता है और जो पाण्डेय जी ने कहाँ भला वो प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी मारपाची जी ना माने ये तो हो नही सकता ।यहाँ पर एक ऐसे व्यक्ति को बायर (Buyer) बनाकर ख़रीदी एवं भुगतान कराया गया जो की अशाशकीय (प्राइवेट )रूप से कार्यालय मे कार्यरत है ।जिसके सम्बन्ध मे जब जानकारों पता किया तो उनके द्वारा यह साफ साफ बताया गया की यदि ऐसा हुआ है तो सम्बंधित अधिकारी कर्मचारी के साथ सभी को जेल भेजने का प्रावधान है । सामग्री खरीदी, और प्रमाणीकरण वास्तविक रूप से न होकर कागजी रूप से किया गया है।

इतना ही नहीं जब हमारे द्वारा इनके खरीदी किये गये सामग्रीयो की जानकारी मार्केट मे पता की गई तो पता चला की इनमे से कुछ सामग्री तो ऐसी है जिनका मॉडल ही बंद हो चुका है तो वही कुछ ऐसी सामग्रीया भी है जिनका मॉडल सबसे पुराना है जिसके चलते आये दिन उसमे परेशानी आना और उसकी मरम्मत हेतु स्पेयर पार्ट का ना मिलना आम बात है | आप सिर्फ इसी बात से अंदाजा लगा सकते है की इनके द्वारा जिस प्रिंटर की खरीदी की गई है उसकी दर्शाई गई कीमत वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक है साथ ही वह प्रिंटर का मॉडल इतना पुराना है कि इसका उत्पादन कंपनी ने बंद कर दिया है। पूरी सामग्री का तुलनात्मक विवरण भी हम प्रकाशित करेंगे।

जिला प्रशासन से अनुरोध है कि इस मामले को संज्ञान में लेकर जांच कराकर दोषियों को दंडित किया जाय।

कार्यवाही नही होने पर शपथ पत्र के साथ शिकायत केन्द्रीय सतर्कता आयोग, राज्य आर्थिक अपराध बयूरो,लोकायुक्त को शिकायत की जाएगी।

 लगातार बने रहिये……..

विश्वास आपका पत्रकारिता हमारी

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