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शहडोल-शिक्षा विभाग में अंधेरगर्दी, एक आदमी 3 पद ?

 शहडोल | जिले में शिक्षा विभाग जैसे  पवित्र विभाग का  चारागाह के रूप में  जितना अधिक दोहन,शहडोल जिले में अधिकारी,कर्मचारी करते है, शायद ही किसी अन्य जिले में होता होगा। चाहे जिला परियोजना समन्वयक् (डीपीसी) का कार्यालय हो या जिला शिक्षा अधिकारी का या,सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग का कमोबेश हर जगह एक ही स्थिति और एक ही नारा है ,मौका मिला है, जितना लूट सकते हो लूटो, सब हमारा है । सभी कार्यालयों में अधिकारियो नित नवीन कारनामे देखने सुनने को मिल जाते है। स्वयंभू मुन्नाभैया(एमएलए) की कारगुजारियो से तो आप सभी पहले से परिचित है ही। लेकिन रमसा वाले पांडेय जी भी कुछ कम नही, यह तो ऑल इन वन है।इनके बारे जन चर्चा है की प्रातः इनकी नीद प्रमुख सचिव की कॉल से ही खुलती है।जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में इनका कक्ष इतना गोपनीय है,इनके अतिरिक्त कोई अन्य उस कक्ष में घुसना तो दूर नजर उठा कर देख भी नहीं सकता,लेकिन इनकी चर्चा बाद में फुर्सत से करेंगे।
अभी बात करते है, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी श्री फूल सिंह मारपाची जी की नियुक्ति, व्यक्तित्व और कृतित्व की,इनका मूल पद प्राचार्य उमावि है, एवं इनकी पोस्टिंग शहडोल से लगभग 100 किमी दूर व्योहारी विकासखंड के, उमाँवि मऊ में थी तथा अब उमाँवि बुडवा में है। स्कूल शिक्षा विभाग के तत्कालीन आयुक्त महोदय की पारखी नजरों ने इन्हे इतनी दूर के स्कूल से से ढूंढ निकाला तथा प्रशासकीय कार्य सुविधा की दृष्टि से इन्हे जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यों के लिए,अति उत्तम मानते हुए इन्हे इनकी संस्था के प्राचार्य पद के दायित्यो के साथ-साथ जिला शिक्षा अधिकारी शहडोल के पदीय दायित्व भी सौंप दिए (आदेशक्र.216 दिनांक 14.03.2022),।

        द्रष्टव्य है कि शा उ मा विद्यालय मउ से सीएम राइज  विद्यालय होने  के बाद इनकी पदस्थापना शा उ मा बुढ़वा हो गयी थी, जिससे इनके पदस्थापना की दूरी लगभग 120 किमी दूर हो गयी है।  बिना यह विचार किए की कोई व्यक्ति कैसे, दो सुदूर स्थिति कार्यालयो का संचालन अच्छे से कर पाएगा । जबकि तत्समय,जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय शहडोल में ही इनके समान सामर्थ्य के दो प्राचार्य पदस्थ थे,नजदीकी जेडी ऑफिस में इनसे भी वरिष्ठ प्राचार्य पादस्थ थे तथा प्राचार्य डाइट, डीपीसी और जिला मुख्यालय में स्थित मॉडल उमावि चापा में भी इनके ही समान सामर्थ्य के प्राचार्य कार्यरत थे। जिन्हे जिला शिक्षा अधिकारी का दायित्व दिया जा सकता था। किंतु इन सभी की अनदेखी कर, 100 किमी से भी ज्यादा दूर स्थित विद्यालय के प्राचार्य को, जिला शिक्षा अधिकारी, का प्रभार दिया जाना सर्वथा अनुचित, विवेकहीन तथा अनैतिक आदेश(भाव में या प्रभाव में ) कहा  जाना उचित था। क्या इस अव्यवहारिक आदेश के लिए तत्कालीन आयुक्त लोक शिक्षण महोदय को उचित कहा जा सकता है ।
अब बात करते है,प्रभारी महोदय की, कुछ तो खास होगा इनमे तभी तो इतनी दूर स्थित दो कार्यालय को एक वर्ष से ज्यादा समय से चला रहे है। सभी कहते है,साहेब होशियार है और दिलदार है। इसलिए आयुक्त लोक शिक्षण के द्वारा ,इनको जिला शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। अब किस्मत से डीपीसी का प्रभार भी यह पा जाते है तो इसमें इनका क्या? मार्च का महिना चल रहा है फण्ड भी ख़त्म करना है , इसलिए इन्होने भी डीपीसी कार्यालय कि कुछ फाइल  बिना सीईओ जिला पंचायत को भेजे सीधे फाइल प्रस्तुत करनी शुरू कर दी है |(मुन्ना भैया के मार्गदर्शन में ) आदमी एक,प्रभार तीन- तीन कार्यालयों का, जिनके मध्य 100 किमी से भी ज्यादा की दूरी।अब जनता के साथ कैसे न्याय हो । नव नियुक माध्यमिक शिक्षक जोइनिंग के लिए भटके तो भटके,साहेब का क्या?  पेंशन के लिए शिक्षक परेशान रहे तो रहे इनका क्या? जो परेसान है तो परेशान रहे,साहब का क्या ?   डीईओ का प्रभार ऐसे ही थोड़ी मिला है।
असल में कार्यालय तो गुप्ता जी चला रहे,शाम को इन्तेजाम  भी तो चाहिए उसकी व्यवस्था तो गुप्ता जी के जिम्मे ही है।अब बिना भोग प्रसाद के बेचारो की नियुक्ति का आदेश जारी नही हो पा रहा,लोग गुप्ता जी  के इसारो को समझ नही रहे,तो ये किसकी गलती ?
अब पुरानी बस्ती स्थित शिक्षा विभाग के होस्टल कि बच्चियां भूखो सोये तो ये उनकी गलती,उन्हें घर से खाना लेकर हास्टलआना चाहिए था।नही लाए तो अब भूखे रहो।
बाकी की कहानी तो,इनके कार्यकाल की कैस बुक ही बताएगी अगर किसी सज्जन को सूचना के अधिकार में मिल पाई तो।

                  इन सबके बावजूद,जिले के लिए एक अच्छी खबर यह है कि,श्री वी डी पाठक,पदोन्नति प्राप्त कर,जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय शहडोल में,सहायक संचालक के पद पर, दिनांक 31/03/2023 को उपस्थित हो गए है।इस प्रकार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय शहडोल में, अब,शासन द्वारा, सहायक संचालक पद की पूर्ती कर दी गई है,जो कि वरिष्ठ पद है।जिन्हे वरिष्ठता का सम्मान करते हुए,डीईओ के रिक्त पद का प्रभार दिया जाना चाहिए ।

अब बुढ़वा के बच्चे भी अपने प्रिय प्राचार्य के बिना परेशान हों रहे है और अपने प्राचार्य जी को वापस मांग रहे है।
अतः आयुक्त लोक शिक्षण को चाहिए कि यह आदेश अस्थायी रूप से किया था।क्या 1 साल से कोई व्यक्ति नही मिला ।इस अव्यवहारिक आदेश को तत्काल निरस्त करते हुए,उनकी मूल पदस्थापना स्थल शा उ मा बुढ़वा के लिए मुक्त किया कर दिया जाय एवं कोई स्थायी जिला शिक्षा अधिकारी कि पदस्थापना शहडोल में की जाय ।

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