मंत्रालय के आदेश को जिला प्रशाशन दिखा रहा ठेंगा
मंत्रालय के आदेश को जिला प्रशाशन दिखा रहा ठेंगा
शिक्षा विभाग मे चल रहा मनमर्जी का खेल
शिक्षा विभाग मे पदस्थ कर्मचारियों की जितनी बात की जाये उतना कम है परन्तु इस आदेश के बाद तो लगता है कही जिला प्रशाशन भी तो इस मामले मे संलिप्त नहीं है????
शहडोल |जिले मे इन दिनों जहाँ शिक्षा विभाग का नाम अंधेरनगरी चौपट राजा वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है तो वही जिला शिक्षा अधिकारी के रूप मे पदस्थ फूल सिंह मारपाची की दादागिरी चरम पर है ऐसा हम नहीं उक्त सचिवालय का आदेश कह रहा है ज्ञात हो की जहाँ जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मारपाची को प्राचार्य मऊ के साथ प्रभारी डीईओ के रूप मे दिनांक 14/03/22 को कार्यालय मे पदस्थ किया गया था तो वही दिनांक 24/05/22 को मध्यप्रदेश शाशन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इनकी पोस्टिंग प्राचार्य उमवि मऊ से हटाकर प्राचार्य उमवि बुढ़वा मे कर दी गई है जिसके सम्बन्ध मे जब विभागीय जानकारो से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया की श्री मारपाची का प्रभार डीईओ के रूप मे प्राचार्य उमवि मऊ के साथ हुई थी और अब वह प्राचार्य उमवि बुढ़वा के रूप मे पदस्थ है जिससे यह साफ होता है की जब पद ही नहीं तो फिर प्रभारी किस हिसाब से???
कनिष्ठ को वरिष्ठ का प्रभार:-
ज्ञात हो की पूर्व मे हमारे द्वारा डीईओ कार्यालय मे कनिष्ठ को वरिष्ठ का प्रभार यानी श्री बी डी पाठक जो की सहायक संचालक के रूप मे कार्यालय मे अपनी सेवाएं दे रहे है और उनका अधिकारी एक प्राचार्य जो की प्रभारी के रूप मे कार्यालय के अधिकारी है को लेकर चलाया था जिसमे जानकारों की माने तो प्रथम प्राथमिकता वरिष्ठ पद की होती है किन्तु यहाँ के जिला प्रशाशन के आगे सब जायज हो चुका है जिसके चलते शिक्षा विभाग का नाम कुख्यायत है |
अरविन्द बने है सर्वहारा
शिक्षा विभाग मे इन दिनों एडिपीसी के पद पर पदस्थ अरविन्द पाण्डेय जिला प्रशाशन के खास बने हुए है जानकारों की माने तो इन दिनों जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मे सामग्री खरीदी से लेकर किसी भी फ़ाइल को आगे बढ़ाना उसमे मारपाची जी के हस्ताक्षर करना या किसी भी प्रकार का कोई कार्य हो सभी के लिये ये प्रमुख हो चुके है हाल ही मे इनके द्वारा व्यापक स्तर पर सामग्री की खरीदी की गई है जो या तो बंद है या फिर मार्केट मे उपलब्ध ही नहीं है जिसको लेकर हमारे द्वारा खबरों का प्रकाशन भी किया जा रहा है परन्तु ये कहना अतिस्योक्त नहीं होगा की जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का |