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आखिरकार कोसा नोस्त्रा डीपीसी मुन्ना भईया एंड ब्रदर्स के जुल्मो से आभा को मिली मुक्ति

कौन है मुन्ना भैया और कैसा है रसूख

                           कौन है मुन्ना भैया एंड ब्रदर्स आप सब लोग जानते है वर्ष 1996 से शिक्षा कर्मी भर्ती कांड से चर्चा में आये 27 वर्षो से शिक्षा भिभाग में करोडो का घोटाला कर के  भी शहडोल जिले में जिसके विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती और मात्र 2 लाख का घोटाला करने पर बुरहानपुर में निलंबित होकर पुनः बहाल होकर 100 गुनी गति से अनियमितता करने वाली शक्सियत का नाम है मुन्ना भैया 

शहडोल, जनचर्चा  के अनुसार शहडोल जिले के शिक्षा कोसा नोस्त्रा के रूप में समाज मे चर्चित मुन्ना भईया एंड ब्रदर्स का रुतबा एवं रसूख शहडोल जिले के शिक्षा विभाग में,उत्तर प्रदेश के कोसा नोस्त्रा बंधुओ से कम नही है |प्रशासन को विवश कर खुले आम रंगदारी और वसूली करते है जो साथ नहीं देता (विक्रम सिंह, प्रियंका पांडेय, आभा गौतम जैसे) उनकी नौकरी लेना ,पद से हटवा देना इनके लिए बाये हाथ का खेल है |अपने सगे छोटे भाई को नियम विरुद्ध तरीके से पहले होस्टल का लेखापाल और जाते जाते छात्रावास का वार्डन बनाना, दूसरे भाई को बीएसी बनाना, पूरी कहानी उसी तरह है,जैसे हम आप यूपी के माफिया राज के बारे में सुनते है। यूपी की तर्ज पर ही इनके गुर्गे भी है जैसे ब्योहारी वाले श्रीवास्तव जी उर्फ़ वसूली भाई, बीआरसी, इंजीनियर ,एपीसी सब उनके लिए काम उसी तरह वसूली का काम करते है जैसे माफिया राज में होता है|

आईएएस मुख्य कार्यपालन अधिकारी, कलेक्टर इनके विरुद्ध निलंबन,एफआईआर आदि की कार्यवाही तथा अनुशंसा कर भी दे तो भी यह उनसे वरिष्ठ स्तर पर अधिकारिओ को धनबल, छल कपट से , प्रभावित कर क्लीन चिट प्राप्त कर लेते है। कई आईएएस प्रामाणिक रिपोर्ट देकर भी गलत सिद्ध हो चुके है ,अब क्या उन आईएएस के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होनी चाहिये? पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने इनके भ्रष्टाचार के विरुद्ध,अनशन किया, शिकायत की धरना दिया, यहां तक कि पार्टी भी छोड़ दी। लेकिन इनकी सही-सही जांच नही करा पाए ।प्रशासनिक महकमे में, इनकी दहशत ठीक उसी प्रकार है जैसे यूपी में माफिया की सुनवाई के लिए मजिस्ट्रेट तैयार नही होते थे। जिस प्रकार किसी माफिया पर 100 केस होने के बाद भी, कार्यवाही नही होती, गवाह नही मिलते, ठीक इसी प्रकार इनके विरुद्ध सैकड़ो मामले लोकायुक्त, ईओडब्लू , कमिश्नर , कलेक्टर के पास होने के बाद भी कार्यवाही नही होती गवाह नही मिलते है और कार्यवाही नही होती। नियम विरुद्ध नियुक्तियां, प्रभार,अपने परिवार को फर्जी तरीके से नौकरी में रखना तनख्वाह देना, इंदौर में निवासरत पारिवारिक सदस्य का भठिया में शिक्षक बनाकर बीइओ व्योहारी से वेतन निकलवाना, जिला शिक्षा अधिकारी से अनुभव प्रमाण पत्र बनवाना, अपनी सभी गाड़िया किसी द्विवेदी के नाम से दिखाकर भुगतान प्राप्त करना, करोड़ो के घोटाले करना,बमुरा के गरीब यादव की 40 एकड़ जमीन गैरकानूनी तरीके से राजस्व मंडल तक ले जाकर अपने पक्ष में कब्जा करना,सरकारी जमीन कब्जा कर घर बनाना बाद में कलेक्टर से लीज ले लेना, पूर्व विधायक के पुत्र के खिलाफ झूठी गवाही देना, सभी अधीनस्थ कर्मचारियों को धमकाना आदि बहुत से किस्से है । जिनकी विस्तृत चर्चा बाद में करेंगे?

आज बात करते है, मुन्ना भईया एंड ब्रदर्स के जुल्मो सितम के बिरुद्ध, छात्रावास की एक महिला कर्मचारी को, उच्च न्यायालय जबलपुर से मिले न्याय की,यह मामला है बालिका छात्रावास बुढार में पदस्थ एक सहायक होस्टल वार्डन आभा गौतम को माननीय उच्च न्यायालय से मिले न्याय की,

कोन है आभा गौतम—-

बालिका छात्रावास बुढ़ार में पदस्थ रही श्री मती आभा गौतम एक ईमानदार कर्तव्य निष्ठ वार्डन के रूप में मशहूर रही है। उनके समय मे बच्चियों को सभी प्रकार का खाने पीने से लेकर हर चीज का सुख था। श्री मती आभा गौतम छिलपा जिला अनूपपुर की रहने वाली है। डीपीसी मुन्नाभैया कोतमा विधानसभा के सगे साले की पुत्री है, एवं साथ ही सगी बहन की बहू है। जिन्होंने अपनी योग्यता की बदौलत नियुक्ति पायी थी।

क्यो गयी आभा गौतम की नौकरी—-

                    सूत्रों के अनुसार मुन्ना भईया जिले में दुबारा आते ही,या यह कहे की आने के एक दिन पहले छोटे भाई महेंद्र को एक नियमविरुद्ध आदेश तत्कालीन डीपीसी के हस्ताक्षर से बालिका छात्रावास बुढ़ार का लेखापाल बना दिया था, आने के बाद दूसरे दिन पुनः सीईओ जिला पंचायत शहडोल के आदेश से पुनः उस आदेश की पुष्टि कर दी थी। जिले में मनमानी राज एवं भ्रष्टाचार चालू हो चुका था। बालिका छात्रावास बुढ़ार भी हर प्रकार से भ्रष्टाचार से पीड़ित हो चुका था। तब इनके भाई के विरुद्ध मुह खोलने की हिम्मत श्री मती आभा गौतम ने दिखाई, क्योकि उसे भरोसा था कि उसके फूफा जी अर्थात मुन्ना भईया न्याय का पक्ष लेगे । लेकिन भ्रात प्रेम (ठीक कोसा नोस्त्रा की तरह) में न्याय की चिता जला दी गयी । लेखापाल महोदय(छोटे भाई) ने होस्टल प्रबंध समिति के रजिस्टर में आभा गौतम पर झूँठा आरोप बनाकर कि यह छात्रावास में अनुपस्थित रहती है, बच्चियों से व्यवहार ठीक नही करती का प्रस्ताव बड़े भाई को भेज दिया क्योंकि उन्हें राज खुलने का डर सता रहा था। और दंड स्वरूप उसकी नौकरी 3/11/2015 में समाप्त कर दी गयी। वह भी बिना किसी ठोस कारण में एक महीने का एडवांस वेतन 9815.00 देकर, शायद मध्य प्रदेश की यह दुर्लभ कर्मचारी होगी जिसकी संविदा नियुक्ति एक माह का अग्रिम वेतन देकर समाप्त की गई होगी।
इतना निर्दयी भी कोई रिश्तेदारी और कर्मचारी के प्रति हो सकता है आप कल्पना भी नही कर सकते, लेकिन भ्रात प्रेम के देश मे अनेको ऐसे किस्से है।

इस घटना के बाद किसी कर्मचारी ने इनके खिलाफ कभी बगावत नही की। ठीक कोसा नोस्त्रा की तरह मुन्नाभैया एन्ड ब्रदर की धाक पूरे जिले में जम गई।

आभा गौतम ने क्या किया—-

वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर आभा गौतम ने अपनी बात रखी लेकिन उसकी घर बाहर कही भी सुनवाई नही हुई। जन्म जन्म की रिश्तेदारी को कोई धन लाभ के लिए कैसे तिलांजलि दे सकता है इसका उदाहरण आपको यही देखने को मिलेगा।

सभी जगह से निराश होकर श्री मती आभा गौतम ने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली और प्रकरण क्र WP-20510/2015 दायर किया।

मुन्ना भैया के दांव नहीं चले —-

           लेकिन डीपीसी मुन्नाभईया एंड ब्रदर्स ने शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से बहुत रोडे अटकाए, कई बार नए नए दस्तावेज प्रस्तुत कराए ताकि आभा गौतम को न्याय न मिल सके और न्याय मिलने में इतना बिलंब हुआ कि 2015 में लगाये गए प्रकरण में 2023 मार्च महीने में 25 मार्च 2023 को माननीय उच्च न्यायालय ने उस गलत आदेश को निरस्त कर दिया है और न्याय मिला। और आभा गौतम ने पुनः जॉइन कर लिया ,कहते है कि भगवान के घर देर है अंधेर नही है।

 

आगे की हरकतें भी माफिया जैसी-

उसी प्रकार नोस्त्रा राज की तरह काले धन को सफेद करने और राजनीतिक संरक्षण के लिए सत्ताधारी दल से विधान सभा कोतमा से विधायक बनने का सपना देख रहेहै। शासकीय सेवा में होते हुए खुले आम एक राजनैतिक पार्टी के भावी प्रत्याशी के रूप में अपना प्रचार कर रहे है |सभी नियम कानून तोड़ रहे है। प्रशासन कार्यवाही करने में लाचार एवं विवश दिख रहा है। लेकिन कोतमा की जनता जानती है जो अपनो का न हुआ हमारा क्या होगा|

(समाचार जनचर्चा पर  आधारित )

शेष  अगले अंक  में…….

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