सदस्यता का पता नहीं सपने विधानसभा के
सदस्यता का पता नहीं सपने विधानसभा के
एक तरफ सरकारी नौकरी दूसरी ओर कोतमा विधानसभा
इन दिनों कोतमा विधानसभा मे खुद को प्रबल कर्मठ जुझारू मिलनसार और सभी को भंडारा के नाम पर एकत्रित करने वाले मुन्ना भैया कोतमा विधानसभा अपने ही क्षेत्र की जनता मे सवालों मे घिरे हुए है |
शहडोल | शिक्षा विभाग मे करोडो के खायनात और गबन,चापलूसी,जी हुजूरी, दादागिरी और सभी वरिष्ठ अधिकारियो को अपनी विशेष प्रकार के उपहारो से सुसज्जित तोहफा पहुंचने मे महारत हासिल करने वाले द्रोणाचार्य मुन्ना भैया इन दिनों अपने ही क्षेत्र की जनता मे सवालों के रूप मे जनचर्चा मे बने हुए है आलम यह है की जहाँ इनके द्वारा सोशल मीडिया मे अपने आपको प्रबल दावेदार और जनता की पहली पसंद बताने का ढोंग रचा जा रहा है तो वही दूसरी ओर इन्ही की जनता के बीच उठी एक जनचर्चा मे इनकी सदस्यता से लेकर विधायकी सवालों मे पिरो दिया गया है जनचर्चा मे आई एक बात के अनुसार इनकी सदस्यता तक नहीं है तो वही जहाँ इनके द्वारा अपनी प्रमुख दावेदारी भाजपा के रूप मे बताई जा रही है उसको भी इनकी क्षेत्र की जनता ने झूठा सिद्ध किया है हालांकि इस बात मे कितनी सत्यता है इसकी पुष्टि हम नहीं करते परन्तु यदि ऐसा है तो निश्चित ही यह एक षड़यंत्र की श्रेणि मे आता है और इसपर जनता को जागरूक होकर एक सही और जनता के सुख दुख के साथी को अपना दावेदार के रूप मे चुने जाने की जरुरत है तो वही वर्त्तमान जिला अध्यक्ष अनूपपुर सहित संभाग मे भाजपा मे पीठाशीन वरिष्ठ पदाधिकारियों और प्रदेश स्तर के प्रमुख तक को भी सागर मे वरिष्ठ भाजपा नेता के द्वारा किये गये लापरवाही वाले कांड को संज्ञान मे लेते हुए इनके द्वारा भाजपा के नाम को दागदार करने और नियमविरुद्ध तरीके से बगैर सदस्यता और पदाधिकारी होने पर पार्टी के लोगो लगाकर खुद को कर्ता धर्ता बताने पर कार्यवाही करनी चाहिए |
शाशकीय सेवा मे रहकर राजनितिक गालियारे मे कूच :-
आपको बता दे अपनी पूरी सेवा शिक्षा विभाग मे करोडो के हेरफर करने और खुद को शाशकीय धन मे कुंडली मारकर कही किसी की नियम विरुद्ध नियुक्ति तो कही किसी का दादा बनकर दबाने मे बिताने के बाद हालही मे अनूपपुर मे बतौर सहायक संचालक के पद पर आसीन किया है वो बात अलग है की इन्होने कभी मे शहडोल जिला का दामन छोड़ा ही नहीं साथ ही हमेशा से ही शाशन द्वारा डीपीसी के पद पर नये अधिकारी को पदासीन करने के बावजूद भी उसको दबाकर खुदको ही डीपीसी का मालिक बताया जा रहा है वही सूत्रों की माने तो आज भी इनका मोह शहडोल जिले से छूट नहीं रहा है तभी तो आये दिन इनको जिला मुख्यालय तो कही डीपीसी ऑफिस तो कही कलेक्ट्रेट के फेरे मारते देखा जा सकता है तो वही इन दिनों इनकी कूच शाशकीय सेवक रहते हुए राजनितिक गलियारों मे बतौर विधयाक के प्रबल दावेदार के रूप मे देखी जा सकती है जबकि नियमो की माने तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 129 व 134 ((क)) के प्रावधानों के अनुसार राज्य एवं केंद्र सरकार के कर्मचारी राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकते। संलिप्तता पाए जाने पर अधिनियम की धारा 129 के तहत दंडात्मक कार्रवाई, छह माह का कारावास जबकि धारा 134 क के उल्लंघन पर तीन माह का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों सजाओं से दंडित किया जा सकता है।जिसका जीता जागता उदाहरण एक कर्मचारी पर कार्यवाही है जो दिनांक 27 मार्च 2023 को डॉ आनंद राय जो चिकित्सा अधिकारी हुकुमचंद हॉस्पिटल इंदौर में पदस्थ थे , जो व्यापम घोटाले के “Whistleblower” थे एवं राजनीतिक गतिविधियों में सम्मलित थे| इनको शासन ने सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 का हवाला देते हुए शासकीय सेवा से पृथक कर दिया गया है|
आखिर प्रशाशन कार्यवाही मे क्यों कर रहा गुरेज :-
लगातार जहाँ खबरों मे माध्यम से शाशन के समक्ष प्रमाणित दस्तावेजों सहित सारी सच्चाई सामने लाई जा रही है तो वही जिले से लेकर संभाग तक मे बैठे वरिष्ठ अधिकारी भी इनके नाम पर कारवाही करने मे गुरेज खा रहे है आलम यह है की इनके नाम पर कार्यवाही करना तो दूर बात करना भी लाजमी नहीं समझते अब इसको प्रशाशन की उदासीनता का रूप दे या फिर इनकी विशेष आवभागत का रूप खैर हमारा कर्तव्य है शाशन के समक्ष सारे बातो को सामने लाना वो तो हम करेंगे और आशा करते है की एक कर्तव्य निष्ठ पद की शपथ को ध्यान मे रखकर गलत को गलत कहाँ जावेगा |