अस्पताल में उत्पात और डाक्टरो से मारपीट करने पर 05 वर्ष की सजा
ब्यौहारी अस्पताल का मामला, 08 आरोपियों पर हुआ था प्रकरण दर्ज
शहडोल। लगभग 06 वर्ष पूर्व 06 सितंबर 2017 की रात ब्यौहारी अस्पताल में असामाजिक तत्वों द्वारा धावा बोलकर तोड़ फोड़ करने व डाक्टरों तथा स्टाफ से मारपीट करने के एक गंभीर मामले की सुनवाई उपरांत अपर सत्र न्यायाधीश ने आरोपियों को 05 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। घटना की रिपोर्ट तत्कालीन बीएमओ डॉ.राजेश मिश्रा ने की थी। हमलावरों का आरोप था कि दुर्घटना के दो घायलों की मौत अस्पताल की लापरवाही से हुई है। जबकि अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार घायलों का प्राथमिक उपचार कर उन्हे तत्काल रीवा के लिए रिफर कर दिया गया था। इस मामले में शासन की ओर से अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी ब्यौहारी आरके चतुर्वेदी नेे की थी।
ऐसे हुई थी घटना
संभागीय जनसंपर्क अधिकारी नवीन वर्मा ने बताया कि घटना दिवस की रात करीब 11.20 बजे बीएमओ डॉ. राजेश मिश्रा को अस्पताल की ड्यूटी में तैनात स्टाफ नर्स रीतू रानी सिंह ने सूचना दी कि अस्पताल में 08-10 लोग घुसकर मरीजों की वीडियो शूटिंग कर रहे हैं और अभद्रता कर रहे हैं। इससे मरीज परेशानी महसूस कर रहे हैं। ड्यूटी में तैनात डॉक्टर निशांत सिंह व हिनोपमा ठाकुर से गाली गलौज कर उन्हे जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं। इस पर बीएमओ तत्काल अस्पताल पहुंचे और उन्होने देखा कि दुर्गेश गुप्ता नामक युवक 8-10 लोगों के साथ अस्पताल में घुसा था और वार्ड में सोये मरीजों को जगाकर उनकी फोटो खींच रहा था। इस पर बीएमओ ने बीच में हस्तक्षेप कर उन्हे रोकने की कोशिश की।
मारपीट करने लगे
बीएमओ के हस्तक्षेप करने पर आरोपी भडक़ उठे और उन्होने डाक्टर व बीएमओ राजेश मिश्रा तथा डॉ. निशांत सिंह से मारपीट शुरू कर दी। दोनो डाक्टर घायल हो गए और उनके एक-एक दांत टूट गए थे। यही नही आरोपियों ने अस्पताल में कई जगह तोडफ़ोड़ की व रजिस्टर फाड़ दिया था। इस हंगामे से काफी देर तक अस्पताल में तनाव बना रहा और मरीज दहशत में आ गए थे। अस्पताल स्टाफ भी काफी डरा हुआ था। उसका कहना था कि अगर अस्पताल की सुरक्षा नहीं हुई तो ड्यूटी करना कठिन हो जाएगा।
हमलावरों ने लगाया आरोप
हमलावरों का आरोप था कि दुर्घटना के दो घायलों की मौत अस्पताल स्टाफ की लापरवाही से हुई है। जबकि अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार घायलों का प्राथमिक उपचार कर उन्हे तत्काल रीवा के लिए रिफर कर दिया गया था। लेकिन यह बात आरोपी सुनने को तैयार नहीं थे। बीएमओ डॉ मिश्रा की रिपोर्ट पर पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू कर दी थी और प्रकरण न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया था। आरोपियों पर धारा 147, 332, 333 का प्रकरण कायम किया गया था।