नगरपरिषद बकहो-भ्रष्टाचार मुख्य समस्या-एक नजर
बकहो, जब से प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश कि सबसे बड़ी ग्राम पंचायत को नगर पंचायत का दर्जा दिया तब से बकहो में सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार ही हो रहा है| अनुभव हीन ,अपरिपक्क्व हांथो पर विकास कि लगाम ,विधायक जी का नाजायज प्रेम, हर बात पर नेतागिरी , हर मौके कि तलाश में भ्रष्टाचारी निगाहे लगाये कर्मचारी ,एवं पार्षदों कि गुटबाजी ने 10 साल पीछे यहाँ के विकास को छोड़ दिया है | विकास के नाम पर बिल यहाँ के इंजिनियर रोज बनाते है ,कभी पाइप लाइन, कभी स्वच्छता सामग्री कभी कभी तो डीजल के बिल तो ऐसे आते है लगता है कि पूरी परिषद् वाहन पर ही चलती है |
बहुत दिनों बाद कोई स्थायी सी एम् ओ इस परिषद् में आई है |अभी तक आये सी एम् ओ ने परिषद् का विकास किया हो या नहीं ,उनका विकास जरूर हुआ है |नगर परिषद् मे पदस्थ इंजिनियर तो अपना घर ही भरते रहते है ,कोई इंजिनियर पत्नी के नाम से ट्रेवल्स का बिल लगता है है तो कोई अपनी दुकान के बिल लगाकर लगातार लूटने में लगा है | हमारे संवाददाता ने बड़ी गहरे से पड़ताल की तो पाया कि पदाधिकारी अपने आपको एक दुसरे से श्रेष्ठ दिखाने के लिए आपस में ही षडयंत्र करने में लगे रहते है उनमे से जो होशियार ठेकेदार है अपना खर्चा GSB,मुरुम ,टैंकर में निकाल ही लेता है |
नगर परिषद् के पार्षदों कि उर्जा समस्या उठाने में ही चली जा रही है |पञ्च लोगो की समिति है लोग समझ ही नहीं प् रहे है कि अपनी समस्या किससे कहे , अध्यक्ष ,अध्यक्ष पिता ,अध्यक्ष पति ,2 करीबी पार्षद जब एक ही फाइल पर एक मत होती है तो इसको निर्णय के लिए पूर्व ओपीएम के नेता जी से discuss किया जाता है , कि इसका कोई फायदा विपक्षी पार्षदों को तो नहीं मिल जायेगा | नतीजा होता है कि कोई निर्णय नहीं हो पाता है |
संविलियन हुए कथित फर्जी कर्मचारी जिनकी हाजरी रोज लगती है ,ऐसा नहीं है कुछ दिखाई भी देते है ? दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जो नाम के दैनिक वेतन भोगी है |तुर्रा यह है कि ऐसा लगता है कि पूरा परिषद् ही इन्होने सम्हाल रखा है |
आये दिन विवाद ,तालाबंदी ,आमरण अनशन तो रोज कि ही बात है ,यहाँ कि जनता शिकायत भी किससे करे विधायकजी तो एक तरफ़ा ऐसे लोगो को प्रश्रय दे रही है जो खुद 200 वोट नहीं पते ,उनके सहारे 2023 का चुनाव जीतने के सपने देख रही है ? वैसे भी सपनो में कोई टैक्स नहीं है | अगर कोई इनको बदलने एवं ईमानदारी से काम करने कि कोशिश करे तो सभी मौसेरे भाई एक हो जाते है और विधायक जी भी साथ में ?
यहाँ की जनता यह मान बैठी है कि अब इनका मालिक ऊपर वाला ही है ?